भानगढ़ का शाप
राजस्थान की अरावली पहाड़ियों के बीच स्थित, भानगढ़ का किला खामोशी से खड़ा था। इसकी टूटी-फूटी दीवारें और वीरान गलियां सदियों पुराने रहस्यों से लिपटी हुई थीं। यह किला भारत के सबसे भुतहा स्थानों में से एक माना जाता है, और इसके किस्से गांववालों के बीच डर और रहस्य के साथ फुसफुसाए जाते थे।
किले के पास के एक छोटे से गांव में रिया नाम की एक युवती रहती थी। रिया एक पुरातत्वविद् बनने की ख्वाहिश रखती थी और उसकी जिज्ञासा उसे हमेशा नई कहानियों और स्थानों की ओर खींचती थी। भानगढ़ किले की कहानियां सुनकर, उसने वहां जाकर सच्चाई जानने का निश्चय किया। उसके साथ उसका बचपन का दोस्त अर्जुन था, जो एक फोटोग्राफर था और भूत-प्रेत की कहानियों पर विश्वास नहीं करता था।
“सूरज ढलने के बाद वहां मत रुकना,” गांव के एक बुजुर्ग ने चेतावनी दी। “भानगढ़ में रात को आत्माएं जाग जाती हैं।”
चेतावनी को नजरअंदाज करते हुए रिया और अर्जुन एक सुनहरे सुबह भानगढ़ के किले की ओर निकल पड़े। किले के खंडहर अद्भुत थे—दीवारों पर बारीक नक्काशी, टूटे-फूटे महल, और मंदिरों के अवशेष एक समृद्ध राज्य की कहानियां सुनाते थे। लेकिन जैसे-जैसे वे किले के अंदर गहराई में पहुंचे, माहौल भारी और अजीब लगने लगा।
रिया को भानगढ़ के प्राचीन शाप की कहानी याद आई। कहा जाता था कि भानगढ़ की राजकुमारी रत्नावती अद्वितीय सौंदर्य की धनी थी। उसकी सुंदरता पर हर कोई मोहित था, यहां तक कि एक तांत्रिक सिंघिया भी। उसने राजकुमारी को पाने के लिए काले जादू का सहारा लिया और राजकुमारी के लिए भेजे गए इत्र की शीशी में जादू कर दिया। लेकिन राजकुमारी को उसकी चालाकी का पता चल गया। उसने जादुई शीशी तोड़ दी, और जादू सिंघिया पर पलट गया। मरते हुए सिंघिया ने पूरे भानगढ़ को शाप दिया कि यहां का हर प्राणी बर्बाद हो जाएगा।
जैसे ही सूर्यास्त हुआ, किले की परछाइयां लंबी और डरावनी होने लगीं। अर्जुन किले की तस्वीरें लेने में व्यस्त था, जबकि रिया को अजीब सी बेचैनी महसूस हो रही थी।
“क्या तुमने वो आवाज सुनी?” रिया ने धीमी आवाज में पूछा।
अर्जुन ने सहमति में सिर हिलाया। वे तुरंत वहां से निकलने का फैसला करते हैं, लेकिन रास्ते उलझने लगते हैं। हर रास्ता उन्हें किले के और अंदर ले जा रहा था।
किले के एक पुराने कमरे से हल्की रोशनी झलक रही थी। रिया ने उसे देखने का निश्चय किया, और अर्जुन अनमने ढंग से उसके पीछे चल दिया। वहां उन्हें एक टूटा हुआ दर्पण मिला, जिसकी सतह पानी जैसी हिल रही थी। रिया ने हाथ बढ़ाया, और अचानक चारों ओर की दुनिया बदल गई।
वे एक भव्य आंगन में खड़े थे, जहां किला अपने पूरे वैभव में दिख रहा था। सामने एक राजसी पोशाक में एक स्त्री खड़ी थी, जिसकी शक्ल रत्नावती की मूर्तियों से मेल खाती थी। उसकी आंखों में गहरा दुख था।
“तुम्हें यहां से जाना होगा,” उसने कहा। “शाप तुम्हें भी निगल लेगा।”
आसमान काला पड़ गया, और हवा में भूतिया आकृतियां उभरने लगीं। रत्नावती ने हाथ उठाया, और वे आकृतियां थम गईं।
“इस शाप को तोड़ो,” उसने विनती की। “भानगढ़ को मुक्त करो।”
अचानक, वे दोनों किले के बाहर खुद को पाए। सुबह की पहली किरणें धरती को छू रही थीं। रिया के हाथ में दर्पण का एक चमकता हुआ टुकड़ा था।
रिया ने ठान लिया कि वह इस रहस्य की गहराई तक जाएगी और भानगढ़ की आत्माओं को मुक्ति दिलाएगी। किले का शाप खत्म होना अभी बाकी था, और यह उसकी कहानी की शुरुआत भर थी।